मानवीय पर्यावरण क्या है ? What is human environment? In Hindi
मानवीय पर्यावरण क्या है ? What is human environment? In Hindi
मानवीय पर्यावरण
मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है और उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है। प्रारंभिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के अनुरूप बना लिया था। उनका जीवन सरल था एवं आस-पास की प्रकृति से उनकी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती थी। समय के साथ कई प्रकार की आवश्यकताएँ बढ़ीं। मानव ने पर्यावरण के उपयोग और उसमें परिवर्तन करने के कई तरीके सीख लिए। उसने फ़सल उगाना (पशु पालना एवं स्थायी जीवन जीना सीख लिया। पहिए का आविष्कार हुआ, आवश्यकता से अधिक अन्न उपजाया गया, वस्तु विनिमय पद्धति का विकास हुआ, व्यापार आरंभ हुआ एवं वाणिज्य का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति से बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रारंभ हो गया। परिवहन तेज़ गति से प्रारंभ हुआ। सूचना क्रांति से पूरे विश्व में संचार, सहज और द्रुत हो गया।
क्या आप जानते हैं कि आप गर्मी में रसीला तरबूज़ एवं सर्दी में भुनी हुई मूँगफली खाना क्यों पसंद करते हैं? प्राकृतिक एवं मानवीय पर्यावरण के बीच सही संतुलन होना आवश्यक है। मानव को पर्यावरण के साथ समरसता से रहने एवं उसका उपयोग सीखना चाहिए।
रवि की कक्षा में मिज़ोरम की एक लड़की है, नूरी। वह अकसर अपने स्थान की हरियाली की बात करती रहती है। खेल का मैदान नष्ट होने के कारण रवि की उदासी देखकर, नूरी ने उसे आने वाली छुट्टियों में अपने घर मिजोरम आने को कहा। रवि के शिक्षक ने सभी बच्चों से कहा कि छुट्टियों में वे जिन स्थानों पर जाएँगे, वहाँ के भू-दृश्य, घरों एवं लोगों के क्रियाकलापों का चित्र बनाकर लाएँ। जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किलामीटर है। यह मुख्यतः निकल एवं लोहे की बनी होती है तथा इसे निफे (नि-निकिल तथा फे-फैरस) कहते हैं। केंद्रीय क्रोड का तापमान एवं दाब काफ़ी उच्च होता है।